Ramdevra mela -रामदेवरा में प्रतिवर्ष बाबा के अवतरण दिवस भादवा माह की दूज से 10 दिवसीय मेला प्रारम्भ होता है।
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Ramdevra mela
मेला 2022 -Ramdevra mela
Ramdevra mela -रामदेवरा में प्रतिवर्ष बाबा के अवतरण दिवस भादवा माह की दूज से 10 दिवसीय मेला प्रारम्भ होता है।
रामदेवरा का इस बार का भादवा मेला कोनसा है तथा 2022 में भादवा दूज कब है ?
बाबा रामदेवजी का भादवा में प्रत्येक साल मेला लगता है परन्तु 2 सालो से कोरोना महामारी के कारण नहीं लगा इस बार का भादवा मेला 638वां भादवा मेला है |
बाबा रामदेवजी के जीवन काल के प्रारम्भ भादवा की दूज को मानते है इस लिए भादवा की भक्तो के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है इस बाबा भादवा की दूज 29 अगस्त को है।
Ramdevra mela आरम्भ तथा किस प्रकार का रहता हे बाबा रामदेवजी का मेला ??
बाबा की दूज से मंगला आरती के साथ प्रारम्भ होगा। मैले में आये दूर दूर से जातरुओं की आस्था का ज्वार देखते ही बनता है। प्रशासनिक रूप से भादवा का मेला दूज से दशमी तक रहता है, परन्तु भक्तगण भादवा माह शुरू होते ही दर्शन हेतु संघ बना कर आने शुरू हो जाते हैं जिससे की मेले की रौनक भादवा माह लगते ही दिखने लग जाती हैं। भादवा माह में भारत के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुँचते हैं, इनमें बहुत से भक्त बड़े बड़े संघ बना कर पैदल यात्रा करते हैं एवं अन्य भक्त अपने अपने वाहनों से रामदेवरा पहुँचते हैं। मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के भक्तगण अपनी अपनी मोटरसाइकिल में सपत्नीक दर्शन करने बड़े ही उत्साह के साथ गाते बजाते रामदेवरा आते हैं।
Ramdevra mela में आने वाले भक्तो की लिए भोजन तथा रहने की व्यवस्था किस प्रकार रहती है तथा बाबा के भक्त किन किन राज्यों से आते है ?
गुजरात, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली महाराष्ट्र एवं भारत के अन्य राज्यों से भक्त दर्शन करने हेतु रामदेवरा पहुंचते हैं। जोधपुर से रामदेवरा एवं बीकानेर से रामदेवरा जाने वाली सड़कों पर भादवा माह में जातरुओं की रेलमपेल लगी रहती हैं एवं सड़को के किनारे हर 2 किलोमीटर पर भंडारे बड़ी ही सहजता से दिखा सकते हैं।
श्रद्धालुओं के ठहरने हेतु रामदेवरा में तकरीबन हर समाज की धर्मशाला हैं एवं कुल मिला कर यहाँ 300 से ज्यादा धर्मशालाएं एवं 20 से ज्यादा होटलें हैं। इसके अलावा भी कई भंडारे बड़े बड़े डोम लगा कर जातरुओं के रुकने की व्यवस्था करते हैं। रेल की सीधी कनेक्टिविटी होने की वजह से श्रद्धालुओं को रामदेवरा पहुंचने में कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। मेले में रेलवे द्वारा अतिरिक्त ट्रेनों का सञ्चालन भी किया हैं एवं राजस्थान रोडवेज भी अतिरिक्त बस सेवा प्रदान करती हैं।
मेले में राजस्थान के किसी भी जिले से रामदेवरा की तरफ जाने वाली सड़क पर बाबा केहाथ में ध्वजा या बाबा का घोड़ा लिए सहजता से दिख जायेंगे यह बाबा का चमत्कार ही हैं कि हजारोंश्रद्धालु आपकोकिलोमीटर पैदल चल कर भक्त बाबा के दर्शन पाते हैं एवं पावन रामसरोवर तालाब में स्नान करते हैं।अनुमानतः भादवें के मेले में 30 से 35 लाख श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने रामदेवरा आते हैं एवं यहआंकड़ा प्रतिवर्ष वृद्धि करता है।
बाबा रामदेवजी के मेले में राजस्थान सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा क्या क्या व्यवस्था की जाती है ?
मेले Ramdevra mela 2022 में राजस्थान सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्थाएं की जाती हैं। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इसको ध्यान में रखते हुए मेले में सूचना केंद्र एवं कण्ट्रोल रूम स्थापित
किये जाते हैं एवं सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए पुलिस और RAC का अतिरिक्त जाप्ता तैनात किया जाता हैं।
कई किलोमीटर लम्बी कतारों में लग कर भक्त अपने आराध्य के दर्शन करते हैं एवं उन भक्तों को कतार में छाया पानी की व्यवस्था करने प्रशासन एवं स्वमसेवी संस्थाएं तत्पर रहती हैं। मंदिर समिति की और से दर्शन की व्यवस्था सुगम होने की वजह से श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है शीघ्र एवं अच्छे से समाधी के दर्शन हो जाते हैं। मेले Ramdevra mela में मंदिर में दर्शन का समय बढ़ा दिया जाता हैं एवं सिर्फ दो घंटे ही मंदिर के पट बंद रहते हैं।
Ramdevra mela आपको क्या क्या देखने को मिलता है ??
Ramdevra mela मेले में रामदेवरा बाजार की रौनक बहुत ही भव्य होती है। जगह जगह से आये दुकान मेले में बड़ी ही भव्यता से सजाते हैं एवं अपना व्यापार करते हैं। चूड़ी, मनिहारी, हुए दुकानदार अपनी खिलौने, तस्वीरें, मालाएं, सजावटी सामान एवं प्रसाद की दुकानों के अलावा मेले में पधारे श्रद्धालुओं को अपनी यात्रा की स्मृति कैमरे में कैद करने हेतु फोटो स्टूडियो की दुकाने भी लगती हैं। विभिन्न प्रकार के झूले, सर्कस एवं मनोरंजन के साधन भी मेले में उपलब्ध रहते हैं। भक्तों की सेवा हेतु सैंकड़ों भंडारे (लंगर) लगाए जाते हैं एवं पानी की व्यवस्था की जाती हैं।
बाबा के दर्शनार्थ आने वाला हर श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा से दर्शन करता है एवं मेले से अपने साथ बहुत सीअच्छी स्मृतियाँ लेके जाता हैं एवं मन्नत पूरी होने पर पुनः दर्शन करने आने की कामना करता है।